आखिर क्यों पैदा हुई जम्मू कश्मीर समस्या ? जानिए पूरा सच
भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के बाद जो सबसे बड़ी समस्या उभर के आई वह थी रियासतों का भारत में विलय कराना । यूं तो लगभग लगभग सारी रियासतों का निर्णय हो चुका था कि वह भारत में विलय करेंगी या पाकिस्तान में । अंत में सिर्फ तीन रियासते ऐसी थी जिनका विलय भारत और पाकिस्तान किसी में भी नहीं हुआ था । यह रियासतें थी जूनागढ़ , हैदराबाद और जम्मू कश्मीर । हैदराबाद और जूनागढ़ की समस्या को तो किसी तरह सुलझा लिया गया परंतु जम्मू कश्मीर की समस्या जस की तस बनी रही । ऐसा क्यों हुआ आज हम आपको इसका कारण बताएंगे ।
माउंटबेटन प्लान के तहत सभी रियासतों को अपने यहां जनमत संग्रह करा कर इस बात पर निर्णय लेना था की वह भारत में विलय करेंगे या पाकिस्तान में परंतु इस जनमत संग्रह के लिए कोई तिथि निर्धारित नहीं की गई थी । इसी का फायदा उठाते हुए जम्मू कश्मीर के राजा हरिसिंह नलवा ने जनमत संग्रह कराने की प्रक्रिया को टाल दिया । उनके इस कदम की वजह से पाकिस्तान के नेताओं को इस बात का शक होने लगा कि शायद जम्मू कश्मीर भारत के साथ विलय करना चाहता है क्योंकि जम्मू कश्मीर के राजा हिंदू हैं जबकि वहां की जनता अधिकतर मुसलमान है ।
इसी शक के चलते आजाद कश्मीर फोर्स ने 22 अक्टूबर 1947 को जम्मू कश्मीर पर हमला कर दिया । महाराजा हरि सिंह ने 48 घंटे के अंदर भारत सरकार से सैन्य मदद के लिए कहा । भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने महाराजा हरि सिंह के सामने प्रस्ताव रखा कि जब तक मैं भारत के साथ विलय की संधि पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे तब तक भारत की सेना जम्मू कश्मीर मैं नहीं जा सकती । अगर भारत की सेना जम्मू कश्मीर जाएगी तो अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन होगा क्योंकि जम्मू कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं है ।
महाराजा हरि सिंह ने प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और गृहमंत्री सरदार पटेल की बात मानते हुए 24 अक्टूबर 1947 को हस्ताक्षर कर दिए जिससे भारत को जम्मू कश्मीर के संचार , रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय का कार्यभार मिला ।
भारतीय सेना ने कड़ी कार्यवाही करते हुए 26 अक्टूबर को आजाद कश्मीर फोर्स को बारामुला सेक्टर के उरी तक खदेड़ दिया । आजाद कश्मीर फोर्स ने झेलम नदी पार करते ही पुल को उड़ा दिया जिससे भारतीय सेना को उरी में ही रुकना पड़ा ।
इसी बीच भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने संयुक्त राष्ट्र संघ यानी कि यूनाइटेड नेशंस को हस्तक्षेप करने की मांग कर दी । यही जवाहरलाल नेहरू की सबसे बड़ी गलती थी ।
संयुक्त राष्ट्र संघ में यह मामला जाने की वजह से जम्मू कश्मीर पर आज भी स्थिति साफ नहीं हो पाई है । जम्मू कश्मीर में हमले का इल्जाम भारत पाकिस्तान पर और पाकिस्तान भारत पर लगाता रहा है लेकिन भारत का पलड़ा हमेशा से भारी रहा है क्योंकि भारत के पास पाकिस्तान के खिलाफ अनेकों सबूत है । इसके बावजूद भी आज तक कश्मीर समस्या का समाधान नहीं हो सका ।
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