क्या रुक सकता था भारत का बटवारा ? जानिए पूरा सच ।
भारत और पाकिस्तान की कहानी बहुत पुरानी मगर आज भी ताज़ा है । अक्सर लोग कहते है की भारत और पाकिस्तान का बटवारा रुक सकता था यदि कांग्रेस पार्टी चाहती तो , मगर नेहरू जी और गांधी जी ने अपने व्यक्तिगत फायदे के लिए बटवारे पे सहमति देदी । आपके इस भ्रम को खत्म करने के लिए मैं आज ये कहानी आपके सामने लेके आया हूँ। इससे आप पूरे सच को जान सकेंगे ।
भारत मे कैबिनेट मिशन प्लान 1946 में आया जिसके बाद संविधान सभा को बनाने के लिए चुनावी प्रक्रिया शुरू हुई । कुल मिलाकर 389 सीट थी जिनमे 296 सीटों पर चुनाव होने थे , अन्य सीटें राजा रजवाड़ो के प्रांतो के लिए थी । चुनाव के बाद जवाहरलाल नेहरु के नेतृत्व वाली कांग्रेस के हाथ 208 सीटें आयी जबकि मोहम्मद अली जिन्ना की मुस्लिम लीग को 76 सीट मिली । कांग्रेस ने उत्तर से दक्षिण तक सीटों पर कब्ज़ा किया था और मुस्लिम लीग पंजाब और बंगाल तक सीमित थी । इन चुनाव से नेहरू का अंतरिम प्रधानमंत्री बनना तय हो गया । परंतु जिन्ना ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि भले ही कांग्रेस ने देश मे ज्यादा सीट जीती परंतु पंजाब और बंगाल के इलाके में मुस्लिम लीग बहुमत में है तो प्रधानमंत्री पद जिन्ना को मिलना चाहिए ।
संविधान सभा मे कांग्रेस ने निश्चय लिया कि वो संविधान का ड्राफ्ट तैयार करने के बाद मुस्लिम लीग को इस प्रक्रिया में शामिल कर लेगी परंतु जिन्ना ने कहा कि यदि कांग्रेस पहले से मुस्लिम लीग को साथ लेके संविधान का ड्राफ्ट तैयार नही कर सकती तो बाद में मुस्लिम लीग को जोड़ने का कोई मतलब नही बनता । जिन्ना का कहना काफी हद तक सही भी था ।
साथ ही साथ जिन्ना का मानना था कि यदि कांग्रेस सत्ता में आती है , तो हिन्दू पार्टी होने के कारण भारत मे मुस्लिमों का अस्तित्व खतरे में आ सकता है । इसलिए उन्होंने पाकिस्तान के बनाने का प्रस्ताव सामने रख दिया । कांग्रेस एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र का निर्माण करना चाहती थी जबकि जिन्ना और मुस्लिम लीग इस्लामिक राज्य चाहते थे ।
कांग्रेस के नेता भारत के बटवारे के लिए बिल्कुल राजी नही थे क्योंकि उन सबने साथ मिलकर एक भारत का सपना देखा था । इसलिए जिन्ना और मुस्लिम लीग के नेताओं के साथ कई बार बात करने की कोशिश हुई ।
भारत की संविधान बनाने की प्रक्रिया में मुस्लिम लीग हिस्सा लेगी या नही इस बात का पता करने के लिए कांग्रेस ने संविधान सभा की पहली बैठक सच्चिदानंद सिन्हा की अध्यक्षता में 9 दिसंबर 1946 को आयोजित की और जैसा कि सोच गया था , मुस्लिम लीग ने इस बैठक का विरोध करते हुए इसमे हिस्सा नही लिया ।
अतः भारत का बटवारा स्वीकार करते हुए संविधान सभा की अगली बैठक दो दिन बाद 11 दिसंबर को की गई जिसमें सर्वसम्मति से डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद को संविधान सभा का अध्यक्ष चुना गया और संविधान निर्माण की प्रक्रिया शुरू हुई । अंततः 15 अगस्त को भारत और पाकिस्तान को इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट के तहत आजाद कर दिया गया ।
भारत और पाकिस्तान का बटवारा रोकना लगभग नामुमकिन हो गया था इसीलिए बटवारे को स्वीकार किया गया ।
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