Battle on Electronic Voting Machine ( Hindi )

जब से BJP ने 2017 विधानसभा चुनावों में भारी जीत दर्ज की है तब से उसकी जीत पर लगातार प्रश्नचिन्ह लगाए जा रहे हैं । क्या यह प्रश्न सार्थक है ? या विपक्षी इस जीत को पचा नहीं पा रहे हैं यह देखना बाकी है ।



उनके प्रश्न के घेरे में लगातार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन रही है । चुनाव आयोग ने साफ शब्दों में यह कहा था कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के साथ छेड़छाड़ करना नामुमकिन है परंतु विपक्ष यह मानने को तैयार नहीं । पिछले कई सालों से चली आ रही वोटिंग मशीन पर इस बार ही सवाल क्यों ? क्या इसके पहले सभी चुनावी पार्टियों को मिली जीत साफ-सुथरी थी ? या केवल इस बार के चुनावों में बीजेपी की जीत अप्रत्याशित थी ? यह निश्चित रूप से एक बहुत बड़ा सवाल है ।



इस पूरे प्रकरण की शुरुआत उसी समय हो गई थी जब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में वोटों की गिनती की जा रही थी । वोटों की गिनती मैं भाजपा लगातार भारी बढ़त बनाती दिख रही थी । उसी समय मायावती ने एक बयान जारी करते हुए कहा की बीजेपी की इस भारी बढ़त का कारण और उनकी हार का कारण जनता द्वारा दिए गए वोट नहीं बल्कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से की गई छेड़छाड़ है । उन्होंने तो चुनाव आयोग के सामने चुनौती पेश कर दी की बैलट पेपर द्वारा दोबारा से चुनाव कराए जाएं । उन्होंने यह भी कहा कि इन चुनाव की जांच कराई जाए और चुनाव रद्द किए जाएं नहीं तो आंदोलन होगा ।



दूसरी तरफ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अतिशयोक्तिपूर्ण बयान जारी किए । उन्होंने यह तक कहा की मुझे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को हैक करने के कई तरीके मालूम है । यह सुनकर एक कंप्यूटर वैज्ञानिक ने भरी सभा में अपनी IIT की डिग्री फाड़ दी ।  उनका कहना था कि अरविंद केजरीवाल एक केमिकल इंजीनियर है और उनकी आईआईटी में सीजीपीए 8.16 थी । मैं एक कंप्यूटर इंजीनियर हूं और मेरी आईआईटी में सीजीपीए 10 थी । यह देखते हुए कि अरविंद केजरीवाल एक केमिकल इंजीनियर होते हुए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से छेड़छाड़ करने के कई तरीके जानते हैं , मुझे अपनी काबिलियत पर शक होने लगा है ।



देशभर में इस तरह के कई बयान सामने आए और भाजपा की जीत पर कई सवाल उठाए गए । यह सवाल सिर्फ भाजपा की जीत पर नहीं बल्कि चुनाव आयोग पर भी थे । कि क्या चुनाव आयोग साफ-सुथरे चुनाव करवाने में असमर्थ था ? चुनाव आयोग ने इस पर बयान देते हुए कहा कि यह सभी बयान बेबुनियाद हैं और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से छेड़छाड़ करना नामुमकिन है । नसीम जैदी ने घोषणा की की इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से छेड़छाड़ करने के लिए हैकाथॉन का आयोजन किया जाएगा पूरे विश्व भर में कोई भी इस आयोजन में हिस्सा ले सकता था और उसे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से छेड़छाड़ करने का अवसर दिया जाएगा । लेकिन इसके लिए कोई आगे नहीं आया ।

इसके बाद हाल-फिलहाल में चुनाव आयोग ने सभी पार्टियों को ईवीएम से छेड़छाड़ करने के लिए आमंत्रित किया । आपको यह जानकर हैरानी होगी कि देश भर के किसी भी राजनीतिक दल ने इस चुनौती को स्वीकार नहीं किया है ।

शनिवार को सिर्फ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने आयोग की चौखट लांघी । हालांकि चुनौती उन्होंने भी स्वीकार नहीं की । चुनाव आयोग ने हर राजनीतिक दल को 4 घंटे का समय देने का निश्चय किया था ।



मुख्य चुनाव आयुक्त का कहना है कि किसी ने भी चुनौती में भाग नहीं लिया इस तरह यह मामला पूरी तरह खत्म हो गया है । जो दो दल चुनाव आयोग आए थे उनका आने का कारण ईवीएम के बारे में जानकारी लेना था । जैदी ने कहा कि इस चुनौती में ईवीएम को खोलने का भी विकल्प था । जबकि पहली चुनौती में नियंत्रण यूनिट और वीवीपीएटी समेत अन्य के बारे में जानकारी दी जानी थी । आज दूसरे चरण में बटन को दबा सकते थे और मशीन को खोल भी सकते थे । उन्होंने कहा कि इसमें चुनौती देने वाला मशीन खोलकर मेमोरी और बैटरी नंबर लेकर ईवीएम को हैक करने की कोशिश कर सकता था । इसके लिए राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों को आमंत्रण दिया गया था लेकिन सिर्फ दो दल आयोग आए और उन्होंने सिर्फ ईवीएम की तकनीकी जानकारी हासिल की । इन सबके बावजूद भी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के विशेषज्ञों का कहना है कि चुनाव आयोग ने उन्हें मशीन का मदरबोर्ड नहीं छूने दिया । चुनाव आयोग का कहना है कि मदर बोर्ड किसी भी सिस्टम की जान होता है । मदर बोर्ड से छेड़छाड़ मतलब पूरी मशीन से छेड़छाड़ ।



प्रश्न चिन्ह उठाना एक बहुत ही आसान कार्य है और देश भर के राजनीतिक दलों ने यह कार्य किया है । पर यह प्रश्न सिर्फ किसी एक राजनीतिक दल या किसी एक व्यक्ति पर नहीं था । यह सवाल था चुनाव आयोग पर । यह सवाल था देश की संविधान व्यवस्था पर । और यह सवाल था देश के लोकतंत्र पर । सिर्फ सवाल उठाने के बाद सारे राजनीतिक दल पीछे हट गए । उनके लिए क्या सजा मुकर्रर होनी चाहिए । क्या उन्हें देश की व्यवस्था पर सवाल उठाने के लिए और देश के लोकतंत्र से खिलवाड़ करने के लिए सजा नहीं मिलनी चाहिए ? चुनाव आयोग को जल्द से जल्द सख्त निर्देश देते हुए ऐसे सभी सभी लोगों पर कार्यवाही करनी चाहिए जिन्होंने ऐसे सवाल उठा कर देश को पूरे विश्व पटल पर नीचा दिखाने का प्रयत्न किया है ।
धन्यवाद।

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