आखिर कौन है भारत की प्रथम महिला आदिवासी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ?
यशवंत सिन्हा ने द्रोपदी मुर्मू को जीत की बधाई दी और उन्होंने कहा - देश के नागरिकों के साथ मैं द्रोपदी मुर्मू को उनकी जीत की बधाई देता हूं।
प्रधानमंत्री ने दी बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्रौपदी मुर्मू के घर जाकर उन्हें जीत की बधाई दी और लिखा - भारत ने इतिहास रच दिया ऐसे वक्त में जब 1.3 अरब भारतीय आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं तब पूरी भारत के सुदूर इलाकों में पैदा हुई आदिवासी समुदाय की बेटी को हमारा राष्ट्रपति चुना गया द्रोपदी मुर्मू जी को इस उपलब्धि के लिए बधाई ।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दी जीत की बधाई
चुनाव में प्रभावी जीत दर्ज करने के लिए श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी को बधाई वह गांव, गरीब ,वंचितों के साथ-साथ झुग्गी- झोपड़ियों में भी लोक कल्याण के लिए सक्रिय रही हैं आज वे उनके बीच से निकलकर सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंची हैं यह भारतीय लोकतंत्र की ताकत का प्रमाण है।
व्यक्तिगत जीवन
उनका जन्म उड़ीसा के मयूरभंज जिले में बैदापोसी गांव में एक संथाल परिवार में हुआ था।
इनके पिता का नाम बिरंचि नारायण टूडू था। उनके दादा और उनके पिता दोनों ही उनके गांव के प्रधान रहे।
उन्होंने श्याम चरण मुर्मू से विवाह किया । उनके दो बेटे और एक बेटी है । दुर्भाग्यवश दोनों बेटों और उनके पति तीनों की अलग-अलग समय में अकाल मृत्यु हो गई। उनकी पुत्री विवाहित हैं और भुवनेश्वर में रहती हैं।
द्रौपदी मुर्मू ने एक अध्यापिका के रूप में अपना जीवन शुरू किया था और धीरे-धीरे वह राजनीति में आ गई।
राजनीतिक जीवन
1997 में रायरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद चुनाव में जीत दर्ज की और अपने राजनीतिक जीवन का आरंभ किया ।
उन्होंने भाजपा के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया साथ ही भाजपा की आदिवासी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य भी रही हैं।
द्रोपति मुर्मू रायरंगपुर सीट से 2000 और 2009 में भाजपा के टिकट पर दो बार जीती और विधायक बनीं।
जनता दल और भाजपा गठबंधन की सरकार ने द्रोपदी मुर्मू को 2000 और 2004 के बीच वाणिज्य परिवहन और बाद में मत्स्य और पशु संसाधन विभाग में मंत्री बनाया गया था।
22 मई 2015 में झारखंड की 9 वी राज्यपाल बनाई गई थी।
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