2.5 years of BJP Government ( Hindi )
What was the conclusion of 2.5 years of BJP govrnment ? What were the steps taken by government n these 2.5 years. Lets have a look at this editorial in Hindi.
वर्ष 2015 के लोकसभा चुनावों में बहुत सारी चीज़े पहली बार हुईं | पहली बार भाजपा की सरकार पूर्ण बहुमत से सरकार में आई | भाजपा की सरकार को पहली बार लोगों ने इतना पसंद किया और अन्य सभी पार्टियों पर प्राथमिकता दी | साथ ही पहली बार कांग्रेस लोकसभा चुनावों में इतनी बुरी तरह से हारी की वह एक मज़बूत विपक्ष की भूमिका भी नही निभा सका | भाजपा की इस बड़ी जीत में दो बहुत महत्वपूर्ण कारण पिछली सरकार के औसत दर्जे के काम तथा श्री नरेन्द्र मोदी जी की वाक् कला रहे |
भाजपा सरकार के 2.5 वर्ष पूरे हो चुके है | तीन वर्ष किसी सरकार के कामकाज को समझने के लिए काफी वक्त नहीं है , ऐसी सरकार के लिए जो केंद्र की राजनीति में सचमुच नयी हो , जिसके मुखिया पहली बार सांसद बने हो और जिसके मंत्रिमंडल में बड़ी तादाद में ऐसे लोग हो जो पहली बार सांसद या मंत्री बने हों | इन 2.5 वर्ष की अगर समीक्षा की जाए तो ये कहा जा सकता है की सरकार का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा | बड़े निर्णय लेने की काबिलियत इस सरकार को बाकि सभी सरकारों से अलग खड़ा करती है | मोदी लहर के कारण जिन्होंने मोदी जी से बहुत ज्यादा उम्मीदें बाँध रखी थीं वो उस हद तक पूरी नही हुई हैं लेकिन जिन लोगों का यह मानना था की यह सरकार ज्यादा दिन नहीं टिक सकेगी उनको भी निराशा ही हाथ लगी क्योंकि मोदी जी ने अपनी बेहद अलग कार्य शैली से सरकार का कामकाज कुछ इस ढंग से जारी रखा की लोगों को बड़े दिनों के बाद सरकार में चुस्ती , कार्य कुशलता और निर्णय लेने की काबिलियत दिख रही है | उनका अभी तक का कार्यकाल यह दर्शाता है की उनका ध्यान अभी तक प्रशासन को चुस्त करने और लालफीताशाही कम करने में रहा है | इस सरकार के सामने कई चुनौतिया थी लेकिन कहना पड़ेगा की कुछ अनुभवी नेताओं के साथ और युवा जोश से भरपूर इस सरकार ने सभी चुनौतियों का सामना बखूबी किया है | उनकी इस कार्यशैली से यह उम्मीद बाँधी जा सकती है की शायद हम वो प्रशासनिक सुधार देखें जो आजतक कभी नहीं हुए |
अगस्त 2015 में केंद्र सरकार ने डिजिटल इंडिया मिशन की स्थापना करके एक पहल की जिससे भारत के हर वर्ग की सरकार तक पहुँच बढ़ सके और लोगो का काम आसान बन सके | पारदर्शिता बढाने के लिए उठाया गया यह एक अति महत्वपूर्ण कदम था | स्वतंत्रता दिवस के भाषण में अति महत्वकांक्षी जन धन योजना की शुरुआत करी जिसके तहत 10 वर्ष से ऊपर कोई भी व्यक्ति बिना किसी न्यूनतम शुल्क के अपना बैंक में खाता खुलवा सकता है | इससे सरकारी योजनाओ तक लोगो की पहुच बढ़ी तथा लोग अपने पैसो का लेनदेन बैंक खातों के तहत करने के लिए भी प्रेरित हुए | गांधी जी के सपने को साकार करने हेतु और उनकी 150वीं जयंती पर एक स्वच्छ भारत देने का लोगों से वादा लेकर स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत हुई | साथ ही मेक इन इंडिया नामक एक प्रोग्राम की भी नींव पड़ी जिसका मुख्या उद्देश्य भारत को एक विनिर्माण हब के रूप में खड़ा करना है | इसके सकारात्मक परिणाम मिलना तय हैं | इससे दुसरे देशो पात्र हमारी निर्भरता कम होगी तथा रोज़गार के अनेक अवसर भी बनेंगे | प्रधानमन्त्री ने 12 रूपए और 330 रूपए के मामूली शुल्क पर जनता का बीमा सुनिश्चित किया | युवाओं के लिए अति महत्वपूर्ण साबित होने जा रही कौशल विकास योजना की भी शुरुआत की गयी जिसके तहत करोड़ों युवाओं का विभिन्न क्षेत्रों में कौशल विकसित कर के उन्हें रोज़गार के अवसर पोरदान किये जाएंगे | इन सब के अतिरिक्त समाज के हर वर्ग के लिए अनेक योजनाएं जेसे की वन रैंक वन पेंशन , स्मार्ट सिटी , उज्ज्वला योजना , सातवाँ वेतन आयोग , सुकन्या समृद्धि योजना , आदि की भी शुरुआत हुई |
एक कटु सत्य यह भी है की एक बुद्धिजीवी वर्ग के लोगों को छोड़कर काफी लोगों का भरोसा इस सरकार से कम हुआ है | कुछ दिन पहले एक समारोह में मैंने कुछ लोगों को यह कहते हुए सुना की “ मोदी जी कुछ काम भी करेंगे या सिर्फ विदेशो का सैर सपाटा ही करते रहेंगे “ | तो कहा जा सकता है की भरोसे में कमी का एक मुख्य कारण लोगों का उनकी विदेश नीति को न समझ पाना भी है | तो सवाल यह है की आखिर क्यूँ कर रहे हैं मोदी जी इतनी विदेश यात्राएं ?
अगर उनकी अभी तक की कुछ विदेश यात्राओं का उल्लेख करूं तो शायद उनकी विदेश यात्राओं का कारण भी स्पष्ट और सिद्ध हो जाएगा |
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अमेरिका और चीन दौरे के बाद दोनों ही देशों ने भारत के द्वारा स्थाई UNSC सीट के लिए लगाई गई बोली का समर्थन किया है | जापान से भारत को लगभग 35 अरब डॉलर का निवेश मिला साथ ही बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल होने वाली टेकनोलॉजी भी | ऑस्ट्रेलिया दौरे के बाद ऑस्ट्रेलिया भारत के साथ एक न्यूक्लियर पॉवर समझौता करने पर राज़ी हुआ जिसके तहत वह करीब 500 टन यूरेनियम भारत को निर्यात करेगा | सत्या नाडेला ( माइक्रोसॉफ्ट ) , इंद्रा नूयी ( पेप्सिको ) , शैरिल सैंडबर्ग और मार्क ज़ुकरबर्ग ( फेसबुक ) , और जेफ्फ बेज़ोस ( अमेज़न ) के साथ आगामी निवेशों पर विचार विमर्श हुआ | इज़रायल के साथ joint educational research programme के लिए 5 मिलियन डॉलर का समझौता हुआ | चीन दौरे के बाद भारत को चाइना से २० बिलियन डॉलर का निवेश मिला | स्थाई विकास के लिए फ्रांस की ओर से निवेश किया गया | फ्रांस रेलवे के साथ दिल्ली – चंडीगढ़ लाइन को हाई स्पीड लाइन में बदलने के लिए मंज़ूरी | कनाडा ने भारत को 5000 टन यूरेनियम सप्लाई करने को भी मंज़ूरी दी | इस तरह के अनेक समझौते विश्व के अनेक देशों के साथ हुए है |
इन सभी समझौतों से यह स्पष्ट होता है की विश्व पटल पर भारत लगातार मज़बूत हो रहा है और बड़े विकसित देशों के बीच उसकी पैठ भी बन रही है | इससे यह भी साफ़ है की मोदी जी की विदेश नीति वाकई बेहद कारगर सिद्ध हो रही है | बड़े और विकसित देश खुद भारत को निवेश और टेक्नोलॉजी देने के लिए आगे आए हैं | अच्छे दिन आने के वादे के साथ शुरुआत करने वाली सरकार ने अपनी विदेश नीति के साथ काम करना जारी रखा है | अब तक हमने लगभग 65 वर्ष में लगभग हर बार एक ही सरकार पर भरोसा जताया है | क्या इस सरकार को थोडा वक्त देने की हमारी जिम्मेदारी नहीं बनती ? केंद्र सरकार से उनके कार्यकाल का हिसाब संसद में वो लोग मांग रहे हैं जिन्होंने 60 वर्षो में भी देश के लिए कुछ नही किया |
यह साफ़ है की मोदी जी के पास कोई जादुई छड़ी नहीं है | यह कहा जा सकता है की इस सरकार ने जो सक्रियता दिखाई है और अपने कुशल नेता नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में अपना कार्यकाल प्रारंभ किया है उससे उम्मीद बंधती है की आने वाले वर्षों में हम कुछ ऐसे विकास कार्य देखेंगे जो कुछ वर्षो पूर्व तक एक सपना ही थे | ज़रुरत है तो मोदी जी का साथ देने की , उनका समर्थन करने की और थोड़े से इंतज़ार की |
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